लेह: लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लेह में चल रहे विरोध प्रदर्शन के हिंसक रूप लेने के दो दिन बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी, लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
गिरफ्तारी के तुरंत बाद प्रशासन ने लेह में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, वांगचुक की गिरफ्तारी लद्दाख पुलिस की एक टीम ने की, जिसका नेतृत्व डीजीपी एस. डी. सिंह जामवाल कर रहे थे।
⚠️ प्रदर्शन की पृष्ठभूमि:
सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए केंद्र शासित प्रदेश को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाने की मांग कर रहे थे। इसी को लेकर लेह में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।
बुधवार को यह आंदोलन हिंसक हो गया, जिसमें चार लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हो गए। इसके बाद सरकार ने इस हिंसा के लिए सीधे सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया।
🛑 सरकारी कार्रवाई और आरोप:
सरकार का कहना है कि वांगचुक द्वारा दिए गए बयानों और नेतृत्व के कारण भीड़ उग्र हुई, जिससे स्थिति बिगड़ी। इसके बाद कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया और संचार सेवाएं ठप कर दी गईं।
इससे पहले गृह मंत्रालय ने गुरुवार को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर कड़ा एक्शन लेते हुए उनके द्वारा स्थापित संगठन स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया था.
इसके अलावा होम मिनिस्ट्री ने उनके संगठन में वित्तीय गतिविधियों में अनियमितताओं की बात कही . आरोप है कि उनके संगठन ने नियमों की अनदेखी कर स्वीडन से धन प्राप्त किया था. मंत्रालय ने इसे देश हित के विरुद्ध बताया.
सोनम वांगचुक ने इन सारे आरोपों को नकारा
वहीं, सोनम वांगचुक ने इन सारे आरोपों को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर यह मामला इस तरह से दिखा रही है ताकि वह उन्हें जेल में डाल सके. सोनम ने कहा कि उनकी जान पर भी खतरा है. उन्होंने सरकार उन्हें दो सालों के लिए जेल में डालने की व्यवस्था कर रही है, लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं और मैं इसके लिए तैयार हूं. उन्होंने यह भी कहा कि मेरे जेल जाने से सरकार की समस्या बढ़ेगी, न कि घटेगी.
📌 निष्कर्ष:
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी लद्दाख में चल रहे आंदोलन और वहां के लोगों की राजनीतिक-सांस्कृतिक पहचान को लेकर लंबे समय से चल रही लड़ाई को नया मोड़ दे सकती है।
