New Delhi : भारत सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) ने देश में रोजगार और निवेश के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में जानकारी दी कि इस स्कीम के तहत ₹1.15 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जो कि मूल लक्ष्य ₹59,350 करोड़ से लगभग दोगुना है। इसके साथ ही, इस योजना से 1.41 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद जताई गई है, जो कि पहले तय किए गए लक्ष्य 91,600 से कहीं अधिक है।
📊 क्या है ECMS योजना?
इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम को अप्रैल 2025 में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था। इसका उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है और देश को ग्लोबल वैल्यू चेन (GVC) में शामिल करना है। इस योजना के तहत:
- कुल ₹22,919 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है।
- लक्ष्य है ₹59,350 करोड़ का निवेश आकर्षित करना।
- ₹4.56 लाख करोड़ का उत्पादन हासिल करना।
- 91,600 प्रत्यक्ष रोजगार सृजन करना।
लेकिन अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, योजना ने इन सभी लक्ष्यों को पार कर लिया है।
🏭 किस क्षेत्र में हो रहा निवेश?
इस योजना के तहत विभिन्न श्रेणियों में निवेश प्रस्ताव मिले हैं:
- मोबाइल और आईटी हार्डवेयर एनक्लोजर: ₹35,813 करोड़ (16 कंपनियों)
- HDI/MSAP/Flexible PCB: ₹16,542 करोड़ (11 कंपनियों)
- Electromechanicals: ₹14,362 करोड़ (87 कंपनियों)
- SMD Passives, Laminates, Anodes, Capital Equipment: पहली बार निवेश प्रस्ताव
एक कंपनी ने अकेले ही ₹22,000 करोड़ का निवेश प्रस्ताव दिया है, जो अब तक का सबसे बड़ा व्यक्तिगत निवेश है।
👨💼 रोजगार की उम्मीदें
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि इस योजना से 1.41 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। इसके अलावा, अप्रत्यक्ष रूप से भी हजारों लोगों को काम मिलेगा, जिससे देश के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में स्किल डेवलपमेंट और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
🌐 भारत की वैश्विक स्थिति
इस योजना की सफलता से यह स्पष्ट है कि भारत अब ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में एक मजबूत खिलाड़ी बनता जा रहा है। नीति स्थिरता, प्रतिस्पर्धी लागत और सरकार की सक्रिय भागीदारी ने विदेशी और घरेलू निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है।
📌 निष्कर्ष
इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम भारत के लिए एक गेमचेंजर साबित हो रही है। निवेश, उत्पादन और रोजगार के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत अब मेक इन इंडिया को एक नई ऊंचाई पर ले जा रहा है। आने वाले वर्षों में यह योजना देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी।
