गिरिडीह, झारखंड: राज्य में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान को एक बड़ी सफलता मिली है। गिरिडीह जिले के पारसनाथ जोन में सक्रिय दो हार्डकोर नक्सलियों—शिवलाल हेम्ब्रम उर्फ शिवा और उसकी पत्नी सरिता हांसदा उर्फ उर्मिला—ने बुधवार को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। यह आत्मसमर्पण झारखंड सरकार की ‘दिशा: एक नई पहल’ आत्मसमर्पण नीति से प्रेरित होकर किया गया।
पपरवाटांड़ स्थित नए पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के उपमहानिरीक्षक (DIG) अमित सिंह, गिरिडीह के उपायुक्त राम निवास यादव और पुलिस अधीक्षक डॉ. विमल कुमार उपस्थित रहे। अधिकारियों ने दोनों नक्सलियों का स्वागत करते हुए उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रोत्साहित किया।
कौन हैं ये नक्सली दंपति?
शिवलाल हेम्ब्रम, गिरिडीह के खुखरा थाना क्षेत्र का निवासी है और भाकपा माओवादी संगठन के एरिया कमेटी का सदस्य रहा है। उसकी पत्नी सरिता हांसदा, पीरटांड के कुख्यात नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के दस्ते की सक्रिय सदस्य रही है। दोनों के खिलाफ गिरिडीह जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों—डुमरी, मधुबन, खुखरा और पीरटांड—में कुल 15 मामले दर्ज हैं। इनमें से 11 केस शिवा के खिलाफ और 4 केस सरिता के खिलाफ हैं।
सरकार की पुनर्वास योजना का लाभ
आत्मसमर्पण के बाद राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत दोनों को ₹50,000 की राशि दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें अन्य सुविधाएं जैसे आवास, शिक्षा, और रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। यह नीति नक्सलियों को हिंसा छोड़कर शांति की ओर प्रेरित करने का प्रयास है।
पारसनाथ क्षेत्र में नक्सलियों का पतन
एक समय पारसनाथ का इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। जंगल और पहाड़ों में उनकी समानांतर हुकूमत चलती थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में झारखंड पुलिस, CRPF और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के संयुक्त अभियानों ने इस क्षेत्र को लगभग नक्सल मुक्त बना दिया है। पिछले एक साल में 15 वांछित नक्सलियों में से 12 मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। हाल ही में एक करोड़ के इनामी नक्सली सहदेव सोरेन के मारे जाने के बाद इस क्षेत्र में नक्सल प्रभाव लगभग समाप्त हो गया है।
DIG का संदेश
कार्यक्रम के दौरान DIG अमित सिंह ने कहा, “नक्सली संगठनों की ताकत अब खत्म हो रही है। 20 अक्टूबर को प्रस्तावित झारखंड बंद का कोई महत्व नहीं है। जो नक्सली अभी भी सक्रिय हैं, वे मुख्यधारा में लौटकर शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करें।”
गिरिडीह में दो हार्डकोर नक्सलियों का आत्मसमर्पण न केवल सरकार की नीति की सफलता है, बल्कि यह संकेत भी है कि राज्य में शांति और विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। यह घटना अन्य नक्सलियों को भी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर सकती है।
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