नई दिल्ली/रांची, 18 नवंबर 2025**: झारखंड विधानसभा नियुक्ति अनियमितता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने CBI की अंतरिम अर्जी खारिज की. झारखंड विधानसभा में कर्मचारियों की नियुक्तियों और पदोन्नतियों में कथित बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की उस अंतरिम याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एजेंसी ने प्रारंभिक जांच (Preliminary Enquiry) शुरू करने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने CBI की भूमिका पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “आप अपनी राजनीतिक लड़ाइयों के लिए जांच एजेंसी की मशीनरी का इस्तेमाल क्यों करते हैं? हमने कई बार कहा है कि जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर रोक लगनी चाहिए।”
झारखंड विधानसभा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि यह मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा, “जब भी ऐसे मुद्दे उठते हैं, CBI बिना वजह कोर्ट में कूद पड़ती है।” सिब्बल ने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में ही झारखंड हाईकोर्ट के CBI जांच आदेश पर रोक लगा दी थी, इसलिए एजेंसी का आगे बढ़ने का कोई आधार नहीं है।
दूसरी तरफ, CBI की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने कहा कि नियुक्तियों में गंभीर गड़बड़ियां हुई हैं और जांच जरूरी है। लेकिन बेंच ने इन दलीलों को खारिज करते हुए याचिका अस्वीकार कर दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पहले यह तय होगा कि क्या हाईकोर्ट का CBI को सीधे जांच सौंपने का आदेश सही था या नहीं। मामले की अगली सुनवाई में विस्तृत बहस होगी।
**मामले की पृष्ठभूमि**:
– सामाजिक कार्यकर्ता शिव शंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में PIL दायर कर आरोप लगाया था कि विधानसभा में बड़े स्तर पर अवैध नियुक्तियां हुईं।
– 2018 में तत्कालीन राज्यपाल ने अनियमितताओं की जांच के लिए 30 बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया।
– सितंबर 2024 में झारखंड हाईकोर्ट ने आरोपों को गंभीर मानते हुए CBI को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा था कि उच्च पदाधिकारियों की मिलीभगत की आशंका है, इसलिए राज्य पुलिस से निष्पक्ष जांच संभव नहीं।
– इस आदेश के खिलाफ झारखंड विधानसभा और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल की। नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
यह मामला झारखंड में लंबे समय से चर्चा में है और राजनीतिक रंग ले चुका है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है।
(स्रोत: आईएएनएस, लाइव लॉ, इकोनॉमिक टाइम्स)
