जम्मू, 30 नवंबर 2025: भारत की सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने खुलासा किया है कि मई में आयोजित ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने लगभग 70 से अधिक आतंकी लॉन्च पैड को सीमा से दूर आंतरिक क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया है। वरिष्ठ बीएसएफ अधिकारियों ने शनिवार को एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी साझा की, जिसमें कहा गया कि यदि सरकार आदेश देती है तो बल ‘सिंदूर 2.0’ के लिए पूरी तरह तैयार है और दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाने में सक्षम है।
ऑपरेशन सिंदूर 7 से 10 मई तक चला था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक शामिल थे। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना और बीएसएफ ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास स्थित दर्जनों आतंकी लॉन्च पैड और ट्रेनिंग कैंपों को नष्ट कर दिया। बीएसएफ के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डॉप्स एंड इंटेलिजेंस) विक्रम कुंवर ने बताया, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीएसएफ ने सीमा के साथ कई लॉन्च पैड नष्ट कर दिए थे। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने सभी ऐसी सुविधाओं को गहराई वाले क्षेत्रों (डेप्थ एरिया) में स्थानांतरित कर दिया।”
कुंवर के अनुसार, सियालकोट और जफरवाल के गहराई वाले क्षेत्रों में लगभग 12 लॉन्च पैड सक्रिय हैं, जबकि अन्य 60 से अधिक पैड पाकिस्तान के आंतरिक हिस्सों में काम कर रहे हैं। इन पैडों पर आतंकियों की संख्या लगातार बदलती रहती है, जो आमतौर पर दो-तीन सदस्यों के छोटे समूहों में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि ये लॉन्च पैड केवल तब सक्रिय होते हैं जब आतंकियों को भारत में घुसपैठ के लिए धकेला जाना होता है। वर्तमान में सीमा के तुरंत पास कोई ट्रेनिंग कैंप नहीं है, लेकिन गहराई में ऐसे कैंप चल रहे हैं।
बीएसएफ के अधिकारियों ने यह भी उल्लेख किया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकी संगठनों की कार्यप्रणाली में बदलाव आया है। पहले जैश-ए-मोहम्मद दक्षिणी क्षेत्रों में और लश्कर-ए-तैयबा उत्तरी क्षेत्रों में अलग-अलग सक्रिय रहते थे, लेकिन अब मिश्रित समूह बनाए गए हैं। कुंवर ने कहा, “अब कोई भी संगठन के सदस्य मिश्रित समूह में ट्रेनिंग ले सकते हैं, जिससे पहचान मुश्किल हो जाती है।” इससे भविष्य के हमलों में जिम्मेदारी तय करना जटिल हो गया है।
बीएसएफ इंस्पेक्टर जनरल (जम्मू फ्रंटियर) शशांक आनंद ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “बीएसएफ ने 1965, 1971, 1999 के कारगिल युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर जैसे पारंपरिक व हाइब्रिड युद्धों का अनुभव हासिल किया है। यदि सरकार सिंदूर को फिर से शुरू करने का फैसला लेती है, तो हम अधिक नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार हैं।” आनंद ने जोर देकर कहा कि बल सरकार की नीति ‘जीरो इन्फिल्ट्रेशन’ का पालन कर रहा है और सीमा पर कोई असामान्य आतंकी गतिविधि नहीं दिख रही।
डॉप्स डीआईजी कुलवंत राय शर्मा ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू-सियालकोट सीमा पर घुसपैठ के प्रयासों में भारी कमी आई है। उन्होंने कहा, “मई की कार्रवाई का डर अभी भी बरकरार है।” बीएसएफ ने इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, नाइट विजन डिवाइस, एंटी-टनल डिटेक्शन सिस्टम और क्विक रिएक्शन टीमों को मजबूत किया है, जिससे आईबी घुसपैठ के लिए सबसे कठिन रास्तों में से एक बन गई है।
रविवार को बीएसएफ के एक अन्य अधिकारी आशोक यादव ने श्रीनगर में कहा कि लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के पार अभी भी कुछ लॉन्च पैड सक्रिय हैं, जहां 100 से 120 आतंकी सर्दियों में घुसपैठ के इंतजार में हैं। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान हमेशा आतंकियों, हथियारों और ड्रग्स को धकेलने की कोशिश करता रहता है, लेकिन हम और सेना मिलकर सभी साजिशों को नाकाम करेंगे। ऑपरेशन सिंदूर समाप्त नहीं हुआ है, यदि पाकिस्तान कोई कार्रवाई करता है तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।”
यह खुलासा भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच आया है, जहां पाकिस्तानी रेंजर्स ने ऑपरेशन के दौरान अपनी कुछ पोस्टें खाली कर दी थीं, लेकिन अब सामान्य स्थिति बहाल हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि लॉन्च पैडों का स्थानांतरण पाकिस्तान की रणनीति का हिस्सा है, जो सीमा के पास जोखिम कम करने के लिए किया गया है। हालांकि, बीएसएफ का दावा है कि यह बदलाव भारतीय सुरक्षा बलों के लिए कोई चुनौती नहीं है।
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकी बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया, बल्कि स्वदेशी हथियारों की ताकत भी साबित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘सिविल-मिलिट्री फ्यूजन’ का शानदार उदाहरण बताया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बीएसएफ के योगदान की सराहना की। यह घटना भारत की ‘शून्य सहनशीलता’ नीति को रेखांकित करती है, जो किसी भी आतंकी गतिविधि पर कड़ी कार्रवाई का संदेश देती है।
बीएसएफ के इन बयानों से साफ है कि सीमा पर सतर्कता बरकरार है। सर्दियों में घुसपैठ के प्रयास बढ़ने की आशंका के बीच बल ने अपनी तैयारियां और मजबूत कर ली हैं। भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां लगातार निगरानी रख रही हैं।
