पूर्वी सिंहभूम, झारखंड: घाटशिला विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और दोनों ही दलों के प्रत्याशी 17 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगे।
झामुमो ने दिवंगत शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश चंद्र सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को मैदान में उतारा है। इस उपचुनाव को ‘वंशों की टक्कर’ के रूप में देखा जा रहा है, जहां दोनों प्रमुख दलों ने राजनीतिक परिवारों से उम्मीदवार उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
🔹 नामांकन में दिखेगा शक्ति प्रदर्शन
झामुमो प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन के नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं मौजूद रहेंगे। उनके साथ राज्य सरकार के कई मंत्री, विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी घाटशिला पहुंचेंगे। झामुमो ने इस अवसर पर एक बड़ी जनसभा आयोजित करने की योजना बनाई है, जो दाहीगोड़ा सर्कस मैदान में होगी। इस सभा के माध्यम से पार्टी अपने चुनाव प्रचार की औपचारिक शुरुआत भी करेगी।
वहीं भाजपा की ओर से बाबूलाल सोरेन भी 17 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगे। भाजपा ने भी अपने कार्यकर्ताओं को घाटशिला में जुटने का आह्वान किया है और शक्ति प्रदर्शन की तैयारी की है। बाबूलाल सोरेन वर्ष 2024 में भी इसी सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली थी।
🔹 चुनाव की पृष्ठभूमि
घाटशिला विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित है। यह सीट राज्य के पूर्वी सिंहभूम जिले में स्थित है और झारखंड की राजनीति में इसका विशेष महत्व है। यह उपचुनाव शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के कारण हो रहा है, जिनका झामुमो में महत्वपूर्ण स्थान था। उनके पुत्र सोमेश को टिकट देकर पार्टी ने सहानुभूति और पारिवारिक विरासत दोनों को साधने की कोशिश की है।
वहीं भाजपा ने बाबूलाल सोरेन को फिर से मौका देकर अपने पुराने उम्मीदवार पर भरोसा जताया है। पार्टी का मानना है कि इस बार जनता बदलाव चाहती है और भाजपा को मौका देगी।
🔹 चुनावी समीकरण
यह उपचुनाव न केवल घाटशिला बल्कि पूरे झारखंड की राजनीति के लिए अहम माना जा रहा है। एक ओर झामुमो सत्तारूढ़ गठबंधन INDIA का हिस्सा है, वहीं भाजपा एनडीए की अगुवाई कर रही है। ऐसे में यह मुकाबला केवल दो प्रत्याशियों के बीच नहीं, बल्कि दो राजनीतिक ध्रुवों के बीच भी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि झामुमो सहानुभूति लहर और मुख्यमंत्री की मौजूदगी का लाभ उठाने की कोशिश करेगा, जबकि भाजपा स्थानीय मुद्दों और विकास के वादों के साथ मैदान में है।
🔹 आगे की रणनीति
नामांकन के बाद दोनों दलों के प्रचार अभियान में तेजी आने की संभावना है। झामुमो जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश करेगा, वहीं भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को सामने रखकर वोटरों को साधने की रणनीति पर काम कर रही है।
घाटशिला उपचुनाव के लिए मतदान 11 नवंबर को होगा और परिणाम की घोषणा 15 नवंबर को की जाएगी। तब तक दोनों दलों के बीच सियासी जंग और तेज़ होने की उम्मीद है।
Sources:
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