रांची, 19 नवंबर 2025 : झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य की कानून-व्यवस्था और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बड़ा और सख्त कदम उठाया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने झारखंड सरकार को साफ आदेश दिया है कि राज्य के सभी 334 पुलिस थानों को 5 जनवरी 2026 तक पूर्ण रूप से फंक्शनल CCTV कैमरों से लैस किया जाए। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर तय समय-सीमा में काम पूरा नहीं हुआ तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और सख्त कार्रवाई होगी।
- सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी और आईटी विभाग की सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होना पड़ा। कोर्ट ने निर्देश दिया:
- 31 दिसंबर 2025 तक सभी थानों के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार हो
- उसी तारीख तक टेंडर प्रक्रिया पूरी हो
- 5 जनवरी 2026 तक हर थाने में CCTV इंस्टॉलेशन और एक्टिवेशन पूरा हो
कोर्ट ने कहा, “पुलिस थानों में आधुनिक निगरानी व्यवस्था का अभाव सिर्फ कानून-व्यवस्था के लिए खतरा नहीं है, बल्कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है। अब कोई बहाना या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
धनबाद थाना कांड ने खोला पोल
यह पूरा मामला तब गर्माया जब पश्चिम बंगाल के शौभिक बनर्जी ने जनहित याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि चेक बाउंस के एक मामले में धनबाद कोर्ट में जमानत लेने आए थे, लेकिन बैंक मोड़ थाना पुलिस ने उन्हें दो दिन तक अवैध रूप से थाने में बैठाए रखा और दूसरे पक्ष पर दबाव बनवाया। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सब कुछ CCTV में कैद होना चाहिए था, लेकिन पुलिस ने कोर्ट में केवल 2 दिन का बैकअप दिखाकर टालमटोल की। हाईकोर्ट ने इसे “अत्यंत चिंताजनक और अस्वीकार्य” बताया।
राज्य सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि सभी प्रक्रियाएं समय से पूरी कर ली जाएंगी। मामले की अगली सुनवाई और मॉनिटरिंग अब ठीक 5 जनवरी 2026 को होगी।
झारखंड में पुलिस सुधारों को लेकर यह अब तक का सबसे सख्त आदेश माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह आदेश पूरी तरह लागू हो गया तो थानों में पारदर्शिता बढ़ेगी और पुलिस उत्पीड़न के मामलों में सबूत आसानी से मिल सकेंगे।
