जेपीएससी सिविल सेवा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हुई सुनवाई
रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने जेपीएससी की 11वीं सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि नियुक्ति प्रक्रिया अदालत के अंतिम निर्णय से प्रभावित होगी।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से रखे गए तथ्यों पर झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को निर्देश दिया कि वह अगली तारीख तक काउंटर एफिडेविट दाखिल करे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आयोग समय पर जवाब दाखिल नहीं करता है, तो उसे बाद में अवसर नहीं दिया जाएगा।
इस मामले में राजेश प्रसाद सहित कुल 54 अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की है। याचिकाओं में परीक्षा को लेकर वर्ष 2024 में जारी विज्ञापन और नियमों का उल्लेख करते हुए मेरिट लिस्ट पर कई आपत्तियां उठाई गई हैं। याचिका में बताया गया है कि झारखंड की इस सिविल सेवा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटल मूल्यांकन कराया गया, जबकि इसका कोई प्रावधान नियमावली में नहीं है। मूल्यांकन में थर्ड पार्टी एजेंसी की सेवा ली गई, लेकिन यह थर्ड पार्टी एजेंसी कौन है और उसे यह काम किस टेंडर के आधार पर सौंपा गया, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।
प्रार्थियों ने याचिका में कहा है कि नियमों के अनुसार उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों में 10 साल से अधिक अनुभव वाले शिक्षकों या पांच साल से अधिक अनुभव वाले पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होल्डर शिक्षकों से कराया जाना चाहिए था। लेकिन, उन्हें जानकारी मिली है कि मात्र दो साल अनुभव वाले गेस्ट फैकल्टी से उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कराई गई।
प्रार्थियों ने मुख्य परीक्षा की मेरिट लिस्ट को खारिज करते हुए उत्तर पुस्तिकाओं का फिर से मूल्यांकन कराने की मांग की है। अभ्यर्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता कुमार हर्ष ने अदालत में बहस की और परिणाम को त्रुटिपूर्ण बताया।
ज्ञात हो कि जेपीएससी की 11वीं से 13वीं सिविल सेवा की परीक्षा का विज्ञापन वर्ष 2024 के जनवरी में जारी हुआ था। इसकी प्रारंभिक परीक्षा इसी वर्ष मार्च में ली गई थी, जिसमें साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इसका रिजल्ट 22 अप्रैल 2024 को जारी किया गया था। रिजल्ट के आधार पर 7,011 परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए चयनित हुए थे।
इसके बाद मुख्य परीक्षा 22 से 24 जून, 2024 तक विभिन्न केंद्रों में आयोजित हुई थी, जिसका परिणाम 20 मई, 2025 को जारी किया गया। इसके आधार पर साक्षात्कार आयोजित हुआ और पिछले महीने अंतिम रूप से सफल अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट जारी कर दी गई।
नगर निकाय के चुनाव नहीं कराने पर हाईकोर्ट नाराज
- अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सशरीर हाजिर हुए सीएस और नगर विकास सचिव
रांची। हाईकोर्ट ने नगर निकायों के चुनाव कराने के अदालती आदेश की अवहेलना पर कड़ी नाराजगी जताई है। मंगलवार को इससे संबंधित अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर राज्य के मुख्य सचिव एवं नगर विकास सचिव सशरीर उपस्थित हुए। जस्टिस आनंदा सेन की पीठ ने कहा कि अदालत के आदेश की लगातार अवहेलना की जा रही है, ऐसे में क्यों नहीं मुख्य सचिव के विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए?
हाईकोर्ट ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई के लिए 10 सितंबर 2025 की तारीख निर्धारित की है। मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया कि अगली सुनवाई के दौरान वे नगर निकाय के चुनाव को लेकर टाइमलाइन निर्धारित कर अदालत में प्रस्तुत करें।
इसके पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने सरकार के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्य प्रशासन न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर ‘रूल आॅफ लॉ’ की धज्जियां उड़ा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है।
जस्टिस आनंदा सेन की बेंच ने रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद 4 जनवरी 2024 को निर्देश दिया था कि राज्य के सभी नगर निकायों के चुनाव तीन सप्ताह के भीतर कराए जाएं। इस आदेश का आज तक अनुपालन नहीं हुआ है। इसे लेकर अब कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत में दलीलें पेश करते हुए कोर्ट से इस मामले में कार्रवाई की मांग की।
ज्ञात हो कि झारखंड के सभी नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो चुका है। 27 अप्रैल 2023 तक नए चुनाव कराने थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया करीब एक साल पहले शुरू की है, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है।
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