10 सितंबर को दिल्ली में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की हो सकती है उच्चस्तरीय मीटिंग
एजेंसी, नई दिल्ली।
बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर जारी सियासी घमासान अब राष्ट्रीय स्तर पर फैल सकता है। भारतीय चुनाव आयोग (ECI) इस अभियान को अब पूरे देश में लागू करने पर विचार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, 10 सितंबर को दिल्ली में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) की अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होगी।
इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ सभी राज्यों के चुनाव आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। माना जा रहा है कि आयोग पूरे देश में निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कराना चाहता है।
हालांकि, इस कवायद को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप लगाए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने हाल ही में दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“जब आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति की जा रही है, तो हम स्पष्ट कर दें कि हम बिना किसी भेदभाव के हर मतदाता के साथ खड़े हैं — चाहे वह गरीब हो या अमीर, महिला हो या युवा, किसी भी धर्म या समुदाय का हो।”
सियासी आरोपों के घेरे में एसआईआर
बिहार में चल रहा एसआईआर अभियान विपक्षी दलों के निशाने पर है। राजद, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे कई दलों ने बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े किए हैं।
चूंकि अगले वर्ष पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, ऐसे में आयोग की यह पहल राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मानी जा रही है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस प्रक्रिया का खुलकर विरोध किया है। वहीं, भाजपा शासित राज्यों ने चुनाव आयोग के फैसले का समर्थन किया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि आयोग की मंशा निष्पक्षता सुनिश्चित करना है, न कि किसी पक्ष को लाभ पहुंचाना। उन्होंने कहा,
“कुछ लोग जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं ताकि चुनाव आयोग और मतदाताओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा सकें।”
