नई दिल्ली। बिहार में चल रहे एसआईआर (विशेष सारणी पुनरीक्षण) अभियान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम टिप्पणी की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर कोई आंशिक या सीमित राय नहीं दे सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि जो भी अंतिम निर्णय होगा, वह संपूर्ण भारत पर लागू होगा।
अदालत ने यह भी माना कि भारत निर्वाचन आयोग बिहार में कानून और अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन कर रहा है। हालांकि, पीठ ने यह भी चेतावनी दी कि यदि एसआईआर प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर कोई अवैधता पाई जाती है, तो पूरी प्रक्रिया रद्द की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम सुनवाई के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय की है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अनुरोध किया था कि सुनवाई 1 अक्टूबर से पहले हो, क्योंकि उसी दिन अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होनी है। मगर कोर्ट ने यह मांग यह कहते हुए अस्वीकार कर दी कि 28 सितंबर से दशहरे की छुट्टियाँ शुरू हो रही हैं और कोर्ट एक सप्ताह के लिए बंद रहेगा।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आश्वस्त किया कि यदि एसआईआर प्रक्रिया में कोई अनियमितता या अवैधता पाई जाती है, तो वह अंतिम प्रकाशन के बावजूद हस्तक्षेप करने के लिए स्वतंत्र है। भूषण ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अपने ही नियमों और मैनुअल का पालन नहीं कर रहा, और एसआईआर में प्राप्त आपत्तियों को सार्वजनिक नहीं कर रहा है।
यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि एसआईआर प्रक्रिया को देशव्यापी रूप से लागू किया जा सकता है। 10 सितंबर को आयोग की बैठक में यह मुद्दा उठा था, जिसमें यह तय किया गया कि अखिल भारतीय मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान 2025 को जल्द शुरू किया जा सकता है।
बैठक में यह सुनिश्चित करने पर बल दिया गया कि कोई पात्र नागरिक सूची से बाहर न हो और कोई अपात्र व्यक्ति उसमें शामिल न हो। साथ ही, पात्र नागरिकों के लिए आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करना भी सरल और सुलभ बनाया जाएगा।
गौरतलब है कि 2026 में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनके लिए यह कवायद बेहद अहम मानी जा रही है।
