NEW DELHI : भारत में करवा चौथ का पर्व हर वर्ष बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व 10 अक्टूबर को मनाया गया, जिसमें देशभर की विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह पर्व उत्तर भारत के राज्यों—उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में विशेष रूप से मनाया जाता है, लेकिन अब इसकी लोकप्रियता देश के अन्य हिस्सों में भी बढ़ रही है।
देशभर में चांद निकलने का समय:
करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है। अलग-अलग शहरों में चांद निकलने का समय भिन्न होता है। दिल्ली में चांद का समय शाम 8:10 बजे, लखनऊ में 8:05 बजे, पटना में 7:58 बजे, कोलकाता में 7:45 बजे, मुंबई में 8:35 बजे और चेन्नई में 8:25 बजे निर्धारित किया गया। इन समयों के अनुसार महिलाओं ने व्रत खोलने की तैयारी की।
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त:
पूरे देश में शाम 5:45 बजे से लेकर 7:15 बजे तक करवा माता की पूजा का शुभ मुहूर्त रहा। इस दौरान महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर पूजा स्थल पर पहुंचीं। करवा माता की कथा सुनने के बाद उन्होंने चंद्रमा के दर्शन की प्रतीक्षा की।
सोशल मीडिया पर करवा चौथ की धूम:
करवा चौथ 2025 की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए। #KarwaChauth2025 और #ChandNikalGaya जैसे हैशटैग ट्रेंड में रहे। कई सेलिब्रिटीज ने भी अपने व्रत और पूजा की झलक इंस्टाग्राम और ट्विटर पर साझा की।
रेलवे और ट्रैफिक व्यवस्था पर असर:
दिल्ली, लखनऊ और पटना जैसे शहरों में शाम के समय पूजा स्थलों और मंदिरों के आसपास भारी भीड़ देखी गई। स्थानीय प्रशासन ने ट्रैफिक कंट्रोल के लिए विशेष इंतजाम किए। रेलवे स्टेशनों पर भी यात्रियों की संख्या में वृद्धि देखी गई क्योंकि कई महिलाएं अपने मायके या ससुराल से व्रत करने आई थीं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
करवा चौथ का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए उपवास रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ 2025 ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यह पर्व भारतीय समाज में कितना महत्वपूर्ण है। देशभर में लाखों महिलाओं ने श्रद्धा और प्रेम के साथ व्रत रखा और चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत का पारण किया। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि भावनात्मक रूप से भी लोगों को जोड़ता है।
