जोहान्सबर्ग में चल रहे G20 शिखर सम्मेलन के तीसरे सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) के भविष्य को लेकर दुनिया के सामने एक मजबूत और दूरदर्शी प्रस्ताव रखा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि AI का इस्तेमाल वैश्विक भलाई के लिए होना चाहिए, इसका दुरुपयोग किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाना चाहिए। इसके लिए एक मजबूत वैश्विक AI समझौता (Global AI Compact) जरूरी है, जिसमें निम्नलिखित मूल सिद्धांत शामिल होंः
– प्रभावी मानवीय निगरानी (Human Oversight)
– डिजाइन स्तर पर सुरक्षा (Safety by Design)
– पूर्ण पारदर्शिता (Transparency)
– डीपफेक, साइबर अपराध और आतंकवाद में AI के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निर्णय लेने की अंतिम जिम्मेदारी हमेशा इंसान के पास ही रहनी चाहिए। AI मानव क्षमताओं को बढ़ाए, न कि उसे प्रतिस्थापित करे।”
मोदी ने तकनीक को “वित्त-केंद्रित” के बजाय “मानव-केंद्रित” बनाने और “राष्ट्रीय” के बजाय “वैश्विक” तथा “क्लोज्ड मॉडल” के बजाय “ओपन सोर्स” आधारित बनाने की वकालत की। उन्होंने भारत के सफल उदाहरण दिए — चाहे डिजिटल पेमेंट (UPI), अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी हो या AI — सभी में ओपन सोर्स मॉडल की वजह से भारत दुनिया में अग्रणी बना है।
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि फरवरी 2026 में भारत “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” थीम पर वैश्विक AI इंपैक्ट समिट की मेजबानी करेगा और सभी G20 देशों को इसमें शामिल होने का न्योता दिया।
इंडिया AI मिशन के तहत देश में उच्च-क्षमता वाली सुलभ कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा रहा है ताकि AI का लाभ गांव-गांव तक पहुंचे। साथ ही स्किल डेवलपमेंट, न्यायसंगत पहुंच और जिम्मेदार AI तैनाती पर भारत का फोकस रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश स्पष्ट था — तकनीक का विकास ऐसा हो जो सभी के लिए समृद्धि, सुरक्षा और अवसर लाए।
